पंगा - डॉ एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात "
कर दिए खाते खाली,
क्योंकि खाते ही खाता है।
हेरा फेरी करके,
जमाखोरी भी करता है।
एक झूठ छुपाने को,
सौ सौ झूठ बोलता है।
न बात बने अपनी,
थोड़ा-थोड़ा डराता भी है।
तीरंदाजी,
धरी की धरी रह गई।
काले कोट से पंगा,
तबीयत बिगड़ती चली गई।
खीर में ,
नमक का स्वाद आने लगा।
अपने ऊपर ही,
बेचारा बिफरने लगा।
आनन फानन में,
एक सभा बुलाई गई।
ईमानदार राजा को,
हटाने की योजना बनाई गई।
बेईमानों ने,
झूठे कागजात पेश किये।
जिस पर हस्ताक्षर,
धूर्त और मक्कारों ने किये।