अब तो मचा है हाहाकार ,
वृक्ष बिना है बुरा हाल।
मानव ने यह किया कमाल ,
खुद को पाए नहीं संभाल ।।
कैसे-कैसे किए हैं खेल, अब है हाल बुरा।।
गर्मी ने किया है बुरा हाल,
आज ग्लोबल हुआ है लाल।।
ग्लेशियर पिघले हलम हाल ,
खुद को पाया नहीं संभाल।
नदियों में इसने फेंका है जाल,
हर घर में आया है कॉल।।
उमड़ी उफनी लाइ बाढ़,
धरती लगी अब आंखें काढ।
ओजोन परत हुई अब जीर्ण ,
पराबैंगनी अब हुई प्रकीर्ण ।।
प्रदूषण ने किया है सब को क्षीण ,
शरीर हो चुका अब सबका सबका जीण।
वृक्ष की कटाई से हुई हालत खराब,
इन सबका सबका देगा कौन जवाब ।
आलोक कुमार गुप्ता