नींव है कमजोर
शिवानी जैन एडवोकेटByss
यह नींव है कमज़ोर, जिस पर रिश्ते टिक नहीं पाते,
छलावा बुनते हैं जो पल-पल, विश्वास को तोड़ गिराते।
अहंकार की दीवार खड़ी कर, सच से मुँह जो मोड़ते हैं,
वे रिश्ते रेत की तरह फिर, हाथों से फिसलते रहते हैं।
एक झूठ को छुपाने खातिर, सौ झूठ और गढ़ने पड़ते हैं,
यह जाल है ऐसा उलझन का, जिससे निकलना मुश्किल होता है।
पर सत्य की किरण तीखी होती, हर पर्दे को वो चीर देती,
फिर शेष रह जाती है टीस गहरी, और विश्वास की टूटी रेखा।
तो क्यों न चलें हम सच के पथ पर, भले ही राह कठिन हो थोड़ी,
क्योंकि झूठ का साम्राज्य क्षणिक है, सत्य की ही सदा जय होती।
बनाओ नींव रिश्तों की सच्ची, विश्वास की ईंटें लगाओ,
झूठ का अंधेरा मिट जाएगा, प्रेम का उजाला पाओ।