नज़र का फेर
शिवानी जैन एडवोकेटByss
ज़िंदगी एक दर्पण, जैसा तुम देखो, वैसा दिखेगा,
गर भरोगे उदासी, तो हर चेहरा धुंधला दिखेगा।
क्यों बांधे हो खुद को शिकवों की बेड़ियों से हरदम,
उठो, बदलो नज़रिया, खुल जाएगा सुख का संगम।
जो बीत गया सो बीत गया, क्यों उसका शोक मनाना,
आने वाले पल में है नई कहानी, नया तराना।
हर असफलता एक सीख है, अनुभव का है खज़ाना,
गिरकर उठो फिर से, यही तो है जीवन का याराना।
मत ढूंढो कमियाँ औरों में, झांको कभी खुद के अंदर,
बदलाव की पहली किरण फूटेगी तेरे ही अंतर।
स्वीकारो हर चुनौती को, हिम्मत से करो मुकाबला,
खुशियों की चाबी मिलेगी, बदलेगा जीवन का ताला।
आशा के पंखों से उड़ो, निराशा का त्याग करो,
सकारात्मकता की रोशनी से अपने मन को राग करो।
छोटी-छोटी बातों में ढूंढो आनंद का सागर गहरा,
बदलेगी तुम्हारी दुनिया, गर बदलेगा सोच का पहरा।
खुशी कोई मंज़िल नहीं, ये तो एक राह है सुहानी,
हर पल को जियो खुलकर, यही है जीवन की कहानी।
तो बदलो अपनी सोच, और देखो ये कमाल,
खुशियों से भर जाएगा तेरा वर्तमान और तेरा हाल।