अच्छे से जो देखाभाला, तो सब बेगाने नज़र आए..
नशा था हम पे तारी, हर ओर मयख़ाने नज़र आए..।
वक्त बदला तो ना जाने, और क्या·क्या बदल गया..
हमारी मजबूरियों में भी, उनको बहाने नज़र आए..।
हर कोई तरसता है अब, वक्त·ए·मरासिम* के लिए..
हमें भी ब·मुश्किल ख़्वाबों में वो ज़माने नज़र आए..।
न अब वो शमाएं हैं, न परवानों के काफ़िले ही कोई..
बताना मुझको भी, गर कहीं ऐसे दीवाने नज़र आए..।
निकाले हैं कुछ परिंदे हमने, अभी सियाह गुफाओं से..
शुक्र है उनके होठों पे, ख़ुश–गवार तराने नज़र आए..।
पवन कुमार "क्षितिज"
* मरासिम–अच्छी परंपराएं, सम्बन्ध।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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