जब वो आती है ज़हन में खौफ़ जगाती है
बिना कुछ पूछे कई सवाल मन में लाती है
शुरू होने से पहले ही खूब डराती है
ज़िक्र अपना सुनाकर कइयों को रुलाती है
पास आते ही बच्चों को चिंता में डुबाती है
नास्तिक तक को ईश्वर भक्ति याद दिलाती है
जो कभी सीखा न हो वो तक सिखाती है
जो सालभर पढ़ा न हो वो भी पढ़ाती है
पर प्रश्नपत्र दिखाकर सबके होश उड़ाती है
फिर कुछ आए न आए ईश्वर की याद अवश्य आती है
ओ परीक्षा,
तुझे इन बेचारों पर तनिक भी दया न आती है?
जो तू इतना इठलाती है
जब आती है खूब सताती है।
- मिनी