किसी की हाँ किसी की ना सुनती है।
सब समझती घर में खुद को धुनती है।।
कभी सोचने पर मजबूर करती रस्मे।
फिर भी रस्मों की भँवर में निभाती है।।
दिल में दबे ज़ज्बात जब उभरें लगते।
तो भविष्य की सोचकर थम जाती है।।
मसले सुलझाने की भर पूर कोशिश।
चुपचाप रहकर सब कुछ सह जाती है।।
ख्वाब सजाये बचपन में ससुराल के।
उसकी अहमियत 'उपदेश' बह जाती है।।
नारी का जीवन घर और घर के बाहर।
खामोशी से अपने करीबी से कह जाती है।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




