New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सुधा गुप्ता की हाइकु कविता: तन्दूर तपा धरती रोटी सिंकी

Feb 25, 2024 | हाइकु - कविताएं | लिखन्तु - ऑफिसियल  |  👁 36,972
  1.    तन्दूर तपा
    धरती रोटी सिंकी
    दहके लाल

  2.    आग का गोला
    फट गया सुबह
    बिखरे शोले

  3.    सूखे गले से
    कलप रही हवा
    घूँट पानी के

  4.    लपटों -घिरा
    अगिया बैताल-सा
    लू का थपेड़ा

  5.    आग की गुफ़ा
    भटक गई हवा
    जली निकली

  6.    फटा पड़ा है
    हज़ार टुकड़ों में
    पोखर-दिला

  7.    धूप से तपा
    देह पर फफोले
    ले, दिन फिरा

  8.    कुपिता धरा
    अगन-महल में
    आसन-पाटी

  9.    धूप दरोगा
    गश्त पर निकला
    आग-बबूला

  10.    जेठ की आँच
    हवाएँ खौलती हैं
    औटते जीव

  11.    पानी की धुन
    सूखे गले भटके
    राजा मछेरा*

  12.    धधक रही
    लाल पीली कनेर
    सड़कों पर

  13.    फूलों से लदा
    बूला होशो-हवास
    अमलतास

  14.    हत शोभा श्री
    निर्जला उपासी
    जेठ की धरा

  15.    उबल रहे
    ब्रह्माण्ड के देग में
    चर-अचर

  16.    वन-अरण्य
    जलें रूई मानिन्द
    लपटें, धुँआ

  17.    आया है द्वार
    धूल-भरी झोली ले
    जोगी बैसाख

  18.    अंगारे बिछा
    सोने चली धरती
    लपटें ओढ़

  19.    नीम-बेहोश
    करवट से लेटी
    है दोपहरी

  20.    तक़्न है रूखा
    होंठों जमीं पपड़ी
    वैशाखी धरा

  21.    प्यासी चिड़िया
    ख़ुश, टोंटी में छिपा
    दो बूँद पानी

  22.    कुँए, छबील
    प्यास बूझने वाले
    मीत लापता

  23.    सती का शव
    काँधे डाले घूमते
    बौराए रुद्र

  24.    गुलमोहर
    खिला, आग रंग की
    धूप -छतरी


कवियित्री - सुधा गुप्ता




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (0)

+

हाइकु - कविताएं श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन