हमारी उन हसीन यादों को
फिर हक़ीक़त बनाओगे क्या?
अगर हो गई कभी कोई ग़लती
तो दिल से माफ़ कर पाओगे क्या?
उस वक़्त के बाद तो सिर्फ़ तन्हाई ही मिली मुझे,
कभी मेरा अकेलापन दूर करने तुम फिर आओगे क्या?
समझ नहीं पाती हूॅं हाल - ए - दिल तुम्हारा,
कभी तुम ही अपने दिल का राज़ बताओगे क्या?
जानती हूॅं आओगे भी तो फिर कुछ पल में ही
चले जाओगे,
पर एक बार आकर इन तरसती निगाहों को
सुकून दे जाओगे क्या?
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐