नींद नही है आँखों में
जबरन आँखों को मूँदती
सब कुछ है पास मेरे
बस थोड़ी मोहब्बत ढूँढती
बिस्तर पर शांत चित्त
मन कभी यहाँ कभी वहाँ
तन्हाई के आलम में क्यों
आँखों की नमी क्या ढूँढती
आँखें बेवजह पथरा गई
ख्वाहिशें पूरी नही हो सकीं
बदलना चाहती राह 'उपदेश'
चौराहे पर आसरा ढूँढती
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद