बालपन छिन ली, किशोरपन छिन ली
बुजुर्गियत छिना, युवा पन छिन ली
खिलौनों से दूर हुआ, मुस्कराता बालपन
मित्रों से दूर हुआ, शरारती किशोरपन
युवाओं से दूर हुआ, चुलबुलापन, वाकपन
बुजुर्गों से वापस हुए, लौटते लौटते बचपन
हर उम्र को इसने, तन्हाई में धकेला है
मोबाइल पाकर मन, झुंड में अकेला है
पुत्र मोबाइल पर, उंगलियां सरकाता है
पिता बिस्तर पर, प्यासा रह जाता है
बड़ी बड़ी दूरियां,सिमट सिमट रह गई
छोटी छोटी दूरियां बिखर गयी बिखर गयी
मां जब रसोई जाती है, बच्चे को मोबाइल थमाती है
दादी अब परियों की कहानी नहीं सुनाती है
अविष्कारक कमाल करके, नींद भर सोया होगा
पर दशा आज की देख के, पछताया होगा, रोया होगा
मोबाइल ने दुनिया को, अच्छी से अच्छी जुगाड दी है
पर सच ये है कि, अच्छों अच्छों को बिगाड़ दी है
इंसानों से ज्यादा, मोबाइल मेहनती हो गया है
इसीलिए हर मेहनती अब आलसी हो गया है।।
सर्वाधिकार अधीन है