मूक प्रश्न
शिवानी जैन एडवोकेटbyss
जंगल तोड़ो, कैसी ये रीत,
बिन सोचे, कैसा ये भयभीत?
जीवित प्राणी कहाँ जाएँगे,
जब उनके घर ही ढह जाएँगे?
कानून कहता घर में कैद,
जंगल में देते नहीं अभेद।
सारी प्राणी प्रेमी जमात,
क्या सोई है गहरी रात?
ये मूक प्राणी कहाँ बसें,
किस डाल पर अपना घर रचें?
उजड़ रहे उनके आशियाँ,
बचाएगा इनको कौन यहाँ?
अपनी बस्ती तुम बनाते हो,
उनके घर क्यों जलाते हो?
ये मूक प्रश्न खड़े हैं आज,
क्या सुन पाओगे इनकी आवाज?
कहीं तो हो वैकल्पिक ठौर,
जहाँ ये साँसें ले सकें और।
वरना ये विनाश की रेखा,
मिटा देगी हर हरीतिमा।