मुझ पर आज ख़ुदा की करामात हुई,
बरसों से इंतज़ार था जिसका आज वो बात हुई।
बचपन की ख़्वाहिश आज आबाद हुई,
जवानी की ख़्वाहिश की भी शुरुआत हुई।
आज मेरी पहली किताब मेरे हाथ हुई,
जो कभी ख़्वाबों में दूर हुआ करती थी
आज वो मेरे साथ हुई।
बरसों के संघर्ष से आज मैं कुछ तो कामयाब हुई,
जिसे कभी से अपने क़रीब देखना चाहती थी
आज वो मेरे पास हुई।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️