ईमानदारी से, दो वक्त की रोटी कमाना,
मतलब पसीने से नहा अंग-अंग थकाना।
उठाकर औजार हाथों में पड़ गए हैं छाले,
इतना आसान समझते, एक घर चलाना।
काँधे पर चढ़ जब बैठ जाती जिम्मेदारी,
कम उमरी में ही बना देती, उसे सयाना।
मेहनत की कमाई से रिश्वत खाने वालों,
कितनी मुश्किलों से आता, घर में दाना।
एसी में बैठ दिन बिताने वाले क्या जाने,
थक कर चूर हो और फिर वजन उठाना।
🖊️सुभाष कुमार यादव