"ग़ज़ल"
जिस ने प्यार किया ही नहीं वो प्यार निभाना क्या जाने!
हम ख़ुद ही निशाना बनते हैं वो तीर चलाना क्या जाने!!
सीने में जिस के दिल ही नहीं उल्फ़त के वो क़ाबिल ही नहीं!
जो इश्क़ से यूॅं बेगाना हो वो जान लुटाना क्या जाने!!
पत्थर के बने इंसानों में जज़्बात का मिलना मुश्किल है!
हॅंसना जिस को आता ही नहीं वो अश्क बहाना क्या जाने!!
कोई दौलत-परस्तों को कैसे प्यार से ख़ुश रख सकता है!
अब इश्क़ में लालच शामिल है हम जैसा दीवाना क्या जाने!!
'परवेज़' जो वक़्त के मारे हैं घुट घुट कर कैसे जीते हैं!
ना-समझ ये दुनिया क्या समझे बे-दर्द ज़माना क्या जाने!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad
The Meanings Of The Difficult Words:-
*उल्फ़त = मोहब्बत (love); *बेगाना = पराया या अनजान (a stranger or not related); *जज़्बात = भावनाओं (emotions or feelings); *अश्क = ऑंसू (tears); *दौलत-परस्तों = धन के पुजारियों (lovers of wealth); *बे-दर्द = निर्दयी (cruel).