तेरे बाद भी बाकी है।।
तेरे बाद भी बाकी है,
कुछ सांसों में तू रुका सा है।
मैं खत्म नहीं हुआ तुझसे,
तेरा नाम अब भी जिया सा है।
कहीं खामोशी में तू है बैठा,
कहीं नींद में बिन बुलाए आता।
मैं हर बार तुझसे दूर गया,
पर हर बार और करीब पाया।
तू इक जुमला नहीं, तू समंदर है,
जिसमें मैं रोज़ डूब के लौटा हूँ।
जो तुझसे बचा था,
वो भी अब तुझसे ही टूटा हूँ।
तेरे बाद भी बाकी है,
कुछ मुझमें तू बाकी है।
कोई बात नहीं कहता तू,
फिर भी तेरी आवाज़ बाकी है।
मैं इबादत नहीं करता तुझसे,
पर तेरा नाम ही दिल का राग है।
मैं गाता नहीं —
पर हर सांस तुझसे ही संवाद है।
तू गया, मगर मैं नहीं छूटा,
तेरी याद ने ही थामा है।
अब इश्क़ नहीं,
बस एक आदत सी तेरा रह जाना है।कोई राग नहीं, कोई गीत नहीं,
बस तेरा होना, जैसे जीवन की रीढ़ हो।
मैं अब भी चलता हूँ,
पर चलना भी तुझसे उधार लिया है।
तेरे बाद भी बाकी है,
ये लम्हा, ये खामोशी, ये मैं...
तेरे बाद भी, हर चीज़ में तू बसा है —
जैसे तुझसे पहले मैं कुछ था ही नहीं