दोनों हाथों से लूट कर, मालामाल हो गए।
मैथ और केमिस्ट्री मिला मिलाकर,आन -बान -शान हो गए।
अब तीन-तीन सरकारियों के बीच, मचा है घमासान।
मोहर लगाकर कर दिए हस्ताक्षर फर्जी, जांच हो रही किस-किस की थी मर्जी।
छल, कपट, चोरी और बेईमानी,
कतरे कतरे,खून मे है शामिल।
अंकी ,इंकी ,डंकी लाल,
अधर्मी और पापी।
रोज-रोज बदल रहे हैं चेहरे,
आज तेरे सिर कल उसके सिर है सेहरे।
अन्याय के खिलाफ बोल भी नहीं सकते,
मेरे शहर के लोग हो गए हैं गूंगे बहरे।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




