दोनों हाथों से लूट कर, मालामाल हो गए।
मैथ और केमिस्ट्री मिला मिलाकर,आन -बान -शान हो गए।
अब तीन-तीन सरकारियों के बीच, मचा है घमासान।
मोहर लगाकर कर दिए हस्ताक्षर फर्जी, जांच हो रही किस-किस की थी मर्जी।
छल, कपट, चोरी और बेईमानी,
कतरे कतरे,खून मे है शामिल।
अंकी ,इंकी ,डंकी लाल,
अधर्मी और पापी।
रोज-रोज बदल रहे हैं चेहरे,
आज तेरे सिर कल उसके सिर है सेहरे।
अन्याय के खिलाफ बोल भी नहीं सकते,
मेरे शहर के लोग हो गए हैं गूंगे बहरे।