वक्त की गहराइयों से डर गए हैं
हर तरफ तन्हाइयों से डर गए हैं
लोग बेसिर पैर की अब हांकते हैं
अनकही रुस्वाइयों से डर गए हैं
शोर भारी भीड़ है देखो जिधर भी
शहर की शहनाइयों से डर गए हैं
दास कैसा है अजब दस्तूर जग में
हम ही अपने भाइयों से डर गए हैं
बेवफाई है बना फैशन दिलों का
इश्क की रानाइयों से डर गए हैं ••