मैं बड़ा हो गया हूं,पर
मां मुझे, अब भी,
बचपन के नाम से
पुकारती है
वही ममता, वही दुलार
वही तेवर, वही प्यार
झुर्रियों के बीच से
वही आंखें
निहारती है
ढूंढनी हो, अगर मुझे
अपनी खुशी का पैमाना
देख लेता हूं, मां के चेहरे को
जो, मुझ पर ही,पल पल
निसारती है।
सर्वाधिकार अधीन है