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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हसीनाओ इन रचनाकारों की सुनो

हसीनाओ ! रचनाकारों की सुनो ,
चाँद कभी हिरनी तो कभी झीलो,
स्वर्ग अप्सरा उपमाओ की सुनो ,
हसीनाओ! रचनाकारो की सुनो ll

एसएमएस इनके तुम पढो ,
इन्हें कभी ना इग्नोर करो l
छोड़े अधूरे जो तुमने उनको ,
ये सबको दिन रात सुनायेl

श्रृंगारो में सुनो , हाश्य मे सुनो ,
देखो न इग्नोर करो बात सुनो l
भावना से उत्प्लावित बेचारे हैं ,
बरस रहे हैं बीहड़ में भी l

इनको तो कहने की लत ,
तुमको ना सुनने की लत l
अभिव्यक्ति सुख से ना दूर करो ,
अपने इन माशूको को सुनो l

तुमतो इनसे बोर हो जाती ,
फिर ये है सबको सुनते l
कर्म तुम्हारे इनके बिगडे ,
जनता इनसे है पक जाती l

रातो उल्झे केश तुम्हारे ,
गहरी काली आँखों में उलझे l
अधरो मे ये भीगे भीगे ,
सुन्दर सुन्दर गीत बनाये l
जबरन सबको फिर ये सुनाए ,
कहीं तो ताली कहीं पे गाली ,
गली गली चौराहे में गाए l
अब समझो इनकी पीड़ाये,
हसीनाओ ! इन कवियो को सुनो l




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

ताज मोहम्मद said

बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। शानदार रचना।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Sundar evam shandaar rachna hasheenaon ka pata nahi sir mene sun liya h

Komal Raju said

👏👏 taaliyan..bahut bdiya.

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