विकास के नाम पर,
होता है लूटमार।
गरीबों का खून,
चूसते हैं अमीर।
समाज में फैला है,
भ्रष्टाचार का जाल।
नैतिकता का स्तर,
गिरता जा रहा है।
कब तक सहेंगे हम,
ये अन्याय।
उठो आवाज लगाओ,
एकजुट होकर आज।
रिश्वत को मिटाना है,
देश को बचाना है।
नैतिकता को जगाना है,
बेगुनाहों को इंसाफ दिलाना है।