लोकतंत्र के नाम पर राजतंत्र हावी है।
लुटेरों के हाथ में देश की चाबी है।
बस सत्ता की मलाई में सब फिसलना
चाहतें हैं और .....
जात पात की यूरिया से वोटों की
लहलहाती फ़सल काटना चाहतें हैं।लोकतंत्र अब नेताओं का
नेताओं के परिवार के लिए
जनता का शोषण है।
झूठें वादें और कोरें भाषण हैं।
यहां नेता का बेटा खैरात में
नेता बन जाता है और बिना कोई
परीक्षा दिए सबके ऊपर बैठ जाता है।
एक अदद नौकरी के लिए
आम आदमी के होश फ़ख़्ता हो जातें हैं
और पीटी मेंस इंटरव्यू के बाद भी
मेरिट लिस्ट से गायब हो जातें हैं।
वास्तव में देश की तरक्की से ना किसी
को भी सरोकार है।
बड़े बड़े ओहदें वालें लगते केवल
भ्रष्टाचार के पैरोकार हैं।
यहां वोट बैंक की राजनीति में शामिल
हर प्रकार के हथियार हैं।
सबका सिर्फ़ एक ही मुद्दा है कि
खण्ड खण्ड कर डालो इस अखण्ड
भारत को..
इसे जातियों में विभक्त कर डालो।
आम आवाम को आम रहने दो
केवल ख़ुद को ख़ास बना डालो।
देश को तबाह बरबाद जला डालो
लूट पाट कर खा डालो..
लूट पाट कर खा डालो..