चलती नहीं जरा भी किसी की इसके आगे
बड़े बड़े खुद भरते हैं पानी इसके आगे
प्यार मुहब्बत नफरत जंग यहां करते करते
झुक जाता है आखिर इंसा दिल के आगे
खुल कर कभी नहीं कहता जो अपनी बातें
खुद बदला वो लेता है आकर सबसे आगे
एक हमारा अपना घर खुद ही बिखर गया है
जब से दौड़ लगाई हमने बस सबसे आगे
दास गीत गजलों में भी आया है अब बासी पन
लिखने की जिद जब निकली सच से आगे।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




