बहुत जांबाज हैं जो मासूमों पे गोलियां बरसा रहे हैं
जब खुदपे पड़ी है चोट इतना क्यूँ बिलबिला रहे हैं
देखकर घर के जनाजे किसलिए तेरी आँखे हैं नम
वाह पत्थर दिल आतंकी खुदकी मौत मंगवा रहे हैं
हर सुहागन का सिंदूर बनके क़यामत आ रहा अब
थी बड़ी ख्वाहिश बहत्तर हूर हम अता फरमा रहे हैं
यह नया भारत हमारा युग नये के हम भारतवासी
जिसने हमें छेड़ा है उसे हम उसके घर तड़पा रहे हैं
दास दो टुकड़े किये फिर भी अब फुफकारता क्यूँ
फन ही अब कुचलेंगे हम ठहरो वहीं हम आ रहे हैं
प्यार की भाषा तुम्हें तो समझमें आएगी नहीं कुछ
भूत हो लातों के समझो अब लात से समझा रहे हैं
यह तिरंगा बस हमारा सबको जां से बढ़के प्यारा
भारत माँ की जै सिपाही छाती पे गोली खा रहे हैं.

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




