वो महफ़िल उन्होंने किसी और के लिए लगाई थी,
और हम नादान उस महफ़िल की वजह ख़ुद को
समझ बैठे।
ग़लतफ़हमियों में ही जीते रहे उम्र भर,
और सवालों के धागों में उलझ बैठे।
वो हमे हमेशा से पराया मानते रहे,
और हम उन्हें हद से ज़्यादा अपना बना बैठे।
दिल के रिश्तों को उन्होंने कभी तवज्जो दी नहीं,
फिर भी हम है कि सिर्फ़ उन्हीं को दिल में
सजा बैठे।
काफ़ी वक़्त पहले ही मेरा नाम मिटा दिया था
उन्होंने अपनी यादों से,
और हम अनजान, पूरे जहां को उनके नाम की
ग़ज़ल सुना बैठे।
एक अरसा बीत चुका है उन्हें हमे अपनी ज़िंदगी
से निकाले हुए,
और हम है कि उन पर अपनी पूरी ज़िंदगी
लुटा बैठे।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




