इतना भी किसी दिल के क़रीब जाना नहीं
उंस उनसे बेहद हो ऐसा भी कोई परवाना नहीं
थोड़ी सी ख़ुशी के लिए उम्र भर छलकती रहे आँखें
ऐसी मुस्कुराहट से बेहतर है मुस्कुराना नहीं
ख़ामोशी की चादर ओढ़े जीने का अपना मज़ा है
तोड़ोगे ख़ामोशी तो दर्द-ए-दिल सून हंसेंगे सभी सो कुछ बताना नहीं
खिलखिला कर हंसना ताकि अश्कों के मोती गिन न पाएं कोई
गर पूछ ही ले राज-ए-हसीं कह देना कोई अफ़साना नहीं