रफ़्ता-रफ़्ता वो मुझसे जाने क्यों दूर हो गए
मुझको कुछ ख़बर नहीं क्यों मग़रूर हो गए।
बात बस इतनी थी मैंने उन्हें चश्मेबद्दूर कहा
जाने वो क्या समझे ख़म-ए-चूर हो गए।
अब तो वहशत सी होती है फ़ैयाज़ी होने में
ख़्वाबों में भी आए राब्तों से हम दूर हो गए।
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पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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जाने वो क्या समझे ख़म-ए-चूर हो गए।
अब तो वहशत सी होती है फ़ैयाज़ी होने में
ख़्वाबों में भी आए राब्तों से हम दूर हो गए।