कुछ रिश्तों में आवाज़ नहीं होती
जो कान सुनना चाहते हैं वो साज़ नहीं होती
जो बात सुनाना चाहते हैं कई बार वो अल्फाज़ नहीं होते
दिल जुड़े हैं लेकिन भावनाएँ ब्याँ कर सकें वो हक़ नहीं होते
मान सम्मान की एक दहलीज़ है वो रिश्ते में लकीर बन पार नहीं होती
अपनों से मिले धोखे हैं इसलिए अब अनजानों से अपनेपन जैसी नज़दीकी नहीं होती
कुछ रिश्तों में आवाज़ नहीं होती ..
वन्दना सूद