New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हरियाली चादर - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

हरियाली की चादर ओढ़े,
धरा मुस्काए मंद-मंद,
नभ में उड़े कपोत स्वच्छंद,
बहती पवन कहे अनंत।

पेड़ों की शाखों में गीत,
गाते हैं कोयल, पपीहे मीत,
फूलों की मुस्कान में बसी,
प्रेम की भाषा, कोमल रीत।

नदियाँ गाती झरनों संग,
पत्थर भी पिघलते भावों में,
हर कण में छिपा है जीवन,
प्रकृति बोलती है तानों में।

सावन बरसे अमृत बनकर,
रंग भरे हर साँस में,
मानव तू क्यों है इतना मौन?
प्रकृति पुकारे हर पास में।

चलो फिर से मिट्टी को छू लें,
नीले अम्बर में स्वप्न बुनें,
प्रकृति को मां कह पुकारें,
उसकी बाँहों में फिर झूलें।




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (9)

+

राजू वर्मा said

लाजवाब सर .......शानदार वापसी

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka bahut bahut shukriya sir ji..

Vadigi.aruna said

वाह👌👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Thank you very much mam

Supriya sahu said

वाह...प्रकृति पर बहुत सुंदर रचना सर जी 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka bahut bahut abhar Mam, Saadar Pranam 🙏🙏

श्रेयसी said

प्रकृति को माँ कह पुकारें लाजवाब रचना अशोक जी 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Dhanywaad Adarneey Mam, aapko saadar pranam mam 🙏🙏

कमलकांत घिरी said

वाह क्या खूब लिखे आर्द्र सर जी, अद्भुत रचना मन प्रफुल्लित हो गया रचना पढ़कर👌✍️🙌💐 आपको मेरा सादर प्रणाम 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Bahut Aabhaar Kant Sir ji..

Shiv Charan Dass said

वाह वाह बहुत सुन्दर प्रकृति माँ की बांहों में झूलें

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Bahut Abhaar Adarneey Das Sir...Sadar Pranam..

वन्दना सूद said

वाह वाह बहुत सुंदर रचना 👌👌👏👏हर शब्द गज़ल बन कर प्रकृति से जुड़ने को प्रेरित करती है✍️✍️

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

इस प्रेरणादायक समीक्षा के लिए आपका बहुत आभार आदरणीय मैम, सादर प्रणाम।

Pallavi Srivastava said

अति सुन्दर रचना हैं आदरणीय आपकी👍 आपको तहे दिल से धन्यवाद🙏🙏आप अपना कीमती वक्त निकालकर मेरी सब पोस्ट पर कमेंट करते और रचना को पसंद करते हैं।👍😊😊

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Pratikriya ke liye aapka bahut bahut abhar Adarneey Mam..

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना पचौरी सर।👌👌🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Bahut Abhar Adarneey Yadav Sir..

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन