रंग बदलते ही निगाह में चढ़ गए।
फिर भी उस्ताद बनकर मढ गए।।
सूखे पत्ते जानते अपना भविष्य।
पेड़ के साथ हवाई गीत गढ गए।।
प्रकृति में अहमियत पेड़ की रही।
हरियाली की दास्ताँ बच्चे पढ़ गए।।
समाज सेवा में तल्लीन 'उपदेश' रहे।
चालाकी से जीतने वाले चढ गए।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद