ख़्वाहिश को पाना मेरी ख़्वाहिश थी, ख़्वाहिश को पाने का इंतज़ार में बरसों से कर रही थी। ख़्वाहिश को पाना.........बरसों से कर रही थी
आज ख़्वाहिश को पा लिया मेरी ख़्वाहिश पूरी हो गई, आज मुझे मेरी ख़्वाहिश मिल गई।।
ख़्वाहिश के आने का ना था कोई पता, तब से मैंने मेरी ख़्वाहिश का नाम ख़्वाहिश रख दिया।
ख़्वाहिश के आने........... ख़्वाहिश रख दिया
सोचा था आयेगी वो तो क्या नाम उसे दूॅंगी, फिर सोचा ख़्वाहिश है वो मेरी मैं ख़्वाहिश ही नाम उसे दूॅंगी।।
ख़्वाहिश के आने की ख़बर से ही आज
मेरा सवेरा हुआ,
सुबह-सुबह की इस खुशी से मन मेरा
तरबतर हुआ।
ख़्वाहिश के आने............मेरा तरबतर हुआ
नाचूॅं,गाऊॅं, पॅंख हो तो उड़ भी जाऊॅं, जो खुशी आज मुझे मिली है उसमें जाने
क्या-क्या आज मैं कर जाऊॅं।।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️