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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ख़्वाब

अनजाने में जो ख़्वाब देख लिए थे
उसके साथ जीने के मैंने, आज वो ख़्वाब टूटकर कुछ यूं बिखरेंगे
सोचा न था मैंने।
ख़्वाब तो ख़्वाब होते हैं,
फिर क्यों इन्हें हक़ीक़त में बदलने की
सोच लिया था मैंने।।

आज उसके इस बर्ताव से मैं बिल्कुल टूट गई थी,
आज उसके बर्ताव से मैं टूटकर बिखर गई थी।
जब पता लगे उसके मनसूबे
तो टूटकर मैं ख़त्म हो गई थी।।

ना जाने क्यों उसने ऐसा सिला दिया,
ना जाने क्यों उसने मुझे यूं रूला दिया।
लगता है, शौक है उसे मुझे दर्द देने का,
तभी तो उसने मुझे यूं भुला दिया।।

दरकिनार उसने मुझे कुछ यूं किया,
जैसे दूध में से किसी ने मक्खी को निकाल दिया।
इतनी दग़ाबाज़ी की क्यों उसने मेरे साथ,
क्यों मुझे यूं टाल दिया।।

दिखने में वो कितना मासूम था,
पर दिल से वो मासूम ना था।
हम नादान थे समझे उसे कुछ और,
पर वो तो कुछ और ही था।।

- रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

ताज मोहम्मद said

लगता है, शौक है उसे मुझे दर्द देने का, तभी तो उसने मुझे यूं भुला दिया।। बहुत ही जबरदस्त लाइन लिखी आपने। बहुत उम्दा।

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया भाईजान

Lekhram Yadav said

अति सुन्दर रचना है मेरी प्यारी बहना। हम भी आपकी ही तरह नादान हैं जो दूसरों को सही ढ़ंग से समझ नहीं पाते और बाद में पछताते हैं।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much bhai

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

दर्द कभी कभी ऐसे बयां करती हैं आप जैसे आप कहीं से लोगों की ज़िंदगी में झांक रही हैं और चुपके से उनपर कविता ग़ज़ल नज़्म शायरी लिख रही हैं, लाज़िमी है कलम और स्वयं कवयित्री महोदया का लेखन तजुर्बा बोलता है बहुत खूब हर पंक्ति में या तो कुछ नया है या फिर शिकायतों में जोश है बहुत उत्तम रचना

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका

फ़िज़ा said

उत्तम रचना बहुत ही उम्दा और प्यारा लिखती हैं आप

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