बार-बार तुझको पढनें की आदत सी हो रही है।
उफ ये सादगी तुम्हारी कयामत सी लग रही है।।1।।
फिर आया हवा का झोंका उसकी खुशबू लेकर।
शायद हमारें घर पर उनकी आमद सी हो रही है।।2।।
अभी तो महफिलें शाम थी कितनी बेगानाी सी।
आने से तेरे सबको यहां पे निस्बत सी हो रही है।।3।।
खिजा़ ही खिजा़ थी हर सम्त कब से बहार में।
जर्रे-जर्रे को अब तो तुमसे चाहत सी हो रही है।।4।।
हमको आरजू नही है रक्से कमर फ़िरदौस की।
तुमको पाकर जिन्दगी मेरी जन्नत सी हो रही है।।5।।
हुस्न इश्क़ का रिश्ता होता है शोला शबनम का।
आफताब और मेहताब से ये जु्र्रत सी हो रही है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




