लिखना चाहता हूँ कुछ
साथ खट्टी-मीठी याद लेकर कुछ...
कभी दिल की उदासी,
तो कभी दिल के अल्फ़ाज लेकर कुछ...
खाली नहीं है अफ़सोस दिल की गलियाँ,
हम भी बैठे हैं उसकी आस लेकर कुछ...
बस यूँ ही ढल जाता है दिन मेरा,
फिर आती हैं लम्बी रातें याद लेकर कुछ....
भर आती हैं आँखें मेरी,
प्यार मोहब्बत की बात लेकऱ़़ कुछ....
लिखता हूँ कुछ बातें 'उपदेश'
साथ खट्टी-मीठी याद लेकर कुछ...।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद