कविता : बगैर मतलब का तनाव....
आवाज के
बगैर रोना
निद्रा के
बगैर सोना
दृष्टि के
बगैर देखना
कलम के
बगैर लिखना
बचत के
बगैर कमाई
झगड़ा के
बगैर लड़ाई
बिछोड़ के
बगैर जुदाई
चलने के
बगैर चढ़ाई
कसूर के
बगैर पिटाई
चोट के
बगैर दुखाई
ये सभी बहुत ही
दुख देती है
ये तो इंसान की
जान लेती है
ये तो इंसान की
जान लेती है.......
netra prasad gautam