कविता : माफ करना....
माफ करना
पाठक वर्ग
हो गया मेरा
तो बेड़ा गर्क
कविता लिखने लगा तो
दिमाग में नहीं आया है
मैंने तो आज कुछ भी
नहीं लिख पाया है
आज कुछ हुवा नहीं
ध्यान लगा कर देखूंगा
कल को कविता....
मैं जरुर लिखूंगा
कदम जरुर
ऐसा चालूंगा
कल को कविता
इंटरनेट में डालूंगा
देवियों सज्जनों ये
बात मेरी मान लेना
आज मुझ को आप
सभी ने माफी दे देना
आज मुझ को आप
सभी ने माफी दे देना.......