कविता : गर्दन....
लड़का , सुन लड़की मैं बहुत
प्यार करता हूं तुझ से
मुझ को भी लगता है तू भी
प्यार करती है मुझ से
वैसे देखने में
सिंपल लगता हूं
तेरे लिए तो मैं
जान भी दे सकता हूं
लड़की , हे लड़के सुन कर
जरा ध्यान दे
मेरे लिए यूं ही न
अपनी जान दे
अगर देना ही चाहता है
एक चीज साथ में दे
खुद अपनी गर्दन काट
जरा मेरे हाथ में दे
लड़का , गर्दन अगर काट कर
दूं वो कहां ले जाएगी ?
क्या तू मेरा गर्दन काट
पका कर खाएगी ?
क्या तू मेरा गर्दन काट
पका कर खाएगी.......?
netra prasad gautam