वाहगुरु जी का प्रकाश,
जगमगाता मन में,
सिखों के गुरु, गोविंद सिंह,
जन्म हुआ दिव्य दिन में।
सवा लाख से एक लड़ाऊं,
चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं,
ये नारा दिया था गुरु जी ने,
युद्ध के मैदान में।
धर्म की रक्षा के लिए,
बलिदान दिया था अपनों का,
सिख धर्म की नींव रखी,
गुरु जी ने अपने हृदय का।
खालसा पंथ की स्थापना की,
शौर्य और बलिदान की,
सिखों को दिया एक नया जीवन,
एक नई पहचान।
सच्चा, निश्चय, धीरज,
ये थे गुरु जी के गुण,
सिखों को सिखाया,
जीवन जीने का सही ढंग।
कर्मों से बंधे रहो,
ईश्वर में विश्वास रखो,
ये संदेश दिया गुरु जी ने,
हर एक को।
गुरु गोविंद सिंह जी,
थे महान योद्धा,
धर्म की रक्षा के लिए,
लड़े थे युद्ध बहादुरी से।
सिखों के लिए थे प्रेरणा,
एक आदर्श पुरुष,
उनके बताए रास्ते पर,
चलते हैं हम सभी।