कविता : एक मजदूर....
एक गली के साइड में
रहता एक मजदूर है
वह सारा दिन ईटा और
सीमेंट ढोने में मजबूर है
बीबी और छोटे
बच्चे पालना है
उसी ने उन सभी को
संभालना है
उस की बीबी भी पांच छे
घर के बर्तन माजने जाती है
महीने बाद वह भी
थोड़े से पैसे घर लाती है
ज्याला भी दोनों को
मिलती बहुत थोड़ी है
ऊपर से मंहगाई भी
दिन प्रति दिन बढ़ी है
जैसे तैसे वे दोनों
जिंदगी चला रहे
अपने घर का चूल्हा
मुुश्किल से ही जला रहे
उन के लिए जीने की
न ढंग की व्यवस्था है
देखने वाला उन को
न कोई संघ संस्था है
सरकार भी
मैली और गंदी है
उन्हें देखती ही नहीं
वह भी बहुत अंधी है
उन्हें देखती ही नहीं
वह भी बहुत अंधी है.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




