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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जबकि खुशियां सस्ती पड़ी हैं...

कुछ लोग सोतें हैं चैन से महलों में
कुछ लोग खटते रहेंतें हैं दिन रात दोपहरों में।
महलों वालों को बिजली पानी की शिकायत रहती है ।
पर खटने वालों को तो नींद हीं नींद सताती है।
आज़ कमाया आज हीं खाया इसके सीवा कुछ ना बचाया।
अपनी तो है बस दो जुन की रोटी
सर पे आसमान पेट में चबेनी
तन पे पुरानी धोती पड़ी है।
सूना है लक्ष्मी तो महलों में हीं रहतीं हैं।
फिरभी चैन महलों में नहीं मिलती है।
जेब में है नाम का ढेला फिरभि
मेहनतकशों के घरों में भौतिक सुख नहीं तो क्या दिलों में सुख शांती भरी है।
मत भूलो ऐ मेरे प्यारों ऐ मेरे दुलारों..
खुशियां चीज़ों में नहीं दिलों में हीं बस्ती हैं।
फिर क्यों लागे मन महंगी माया में हम सबकी जबकि खुशियां सस्ती पड़ी हैं।
जबकि खुशियां सस्ती पड़ी हैं....




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam ati uttam bahut khoob kaha Anand sir 👌👌🙏🙏

Bhushan Saahu said

Laxmi to mahlo m hi rhti h.pr sukh chen to do woqt ki roti m bhi mil jata ha agr man m santosh ho .

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