भाषा तेरी वाणी के रूप अनेक
उच्चारण में सजे तूँ विशेष
शब्द शब्द अर्थ अनेकानेक
क्यों की शब्द की रौनक विशेष
अलंकारों की अनेकता में नेक
हर पहेलू में श्रृंगार विशेष
रूपों की महारथी तेरी अनेक
वर्णानुपास में दीपे विशेष
जग दीपेश्वरी तुझसे फैली अनेक
व्याख्यान में असरकारक विशेष
शिक्षा का अखूट भंडार अनेक
व्यापे शास्त्र-संगीत सृजन विशेष
मौनता में भी देती समझ अनेक
इशारो में भी विविधता विशेष
सजा-धजा हर मन-मानव अनेक
बिन तेरे सब पंगु, ऐसी तूँ विशेष……