हम सब अद्भुत अदाकार
दुनिया में सब अद्भुत अदाकार हैं
रंग-बिरंगे रिश्तों को निभाते हैं
जो समझोतों की नींव से हैं बनते
दिल नहीं दिमाग से हैं चलते
अहंकार की दीवारों से हैं बनें
समाज के डर से ही हैं सजते
एक पल में अपने से लगते हैं
अगले ही पल में हो जाते हैं पराए
कभी हँसाते हैं कभी रुलाते हैं
मनचाहे एहसासों से हैं बनें
न छोड़ सकते हैं न ही छोड़े जाते हैं
सब अपनेपन का मखोटा पहने जिए जाते हैं।
वन्दना सूद