कल फिर वो याद आया हमें बड़ी सिद्दतों से।
जिनका इंतज़ार है हमको बड़ी मुद्दतों से।।1।।
अन्देशों की गुंजाइश ना थी हमें अपनी जिंदगी में।
क्योंकि पाया था हमने उनको बड़ी मन्नतो से।।2।।
इक जानी अंजनी सी कमी है जिंदगी में हमारी।
वैसे तो खुदा ने नवाजा है हमें बड़ी रहमतों से।।3।।
पहचान ना सकोगे मेरे गमों को तुम किसी भी नजर से।
मुस्कुराने का यह हुनर मैंने सीखा है बड़ी मेहनतों से।।4।।
अब तो मुफलिसी मे जीने का तरीका आ गया है हमें।
क्योंकि पिछला कुछ वक्त गुजरा है मेरा बड़ी दिक्कतों से।।5।।
कोई भी माल-ओ-जर उनके ईमान को डिगा सकता नहीं।
मुझे पता है वो मुसलमाँ हुए हैं बड़ी मुश्किलों से।।6।।
कभी हुआ करते थे जो शहंशाह अपने वतन के।
आज दो वक्त की रोटी भी नसीब होती है उन्हें बड़ी जिल्लतों से।।7।।
पा लेगा तू इस जहां में सब कुछ खुदा के करम से।
गर मां-बाप ने दुआ कर दी खुश होकर तेरी खिदमतों से।।8।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







