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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कविता - पीड़ित और ढाबा वाला....

(कविता ) (पीडित अाैर ढाबा वाला)
पीडित -इ स बाढ में सारा गावं अाैर
मेरा पूरा परिवार बह गया,

वहाँ पर केवल मैं
बदनसीवअकेला ही रह गया।।

चार पाँच राेज हुवा
खाना भी नहीं खाया हूं,
साहब अाप के पास बडी
उम्मीद ले कर अाया हूं।।

अाप के इ स ढाबे में
मैं पीडित काे रखलाे,
बर्तन पतीला माझूंगा
जरा मुझकाे देखलाे।।

ढाबा वाला-तेरे जैसे चालू लाेग
छत्तीस अाते हैं,
फिर चूना लगा कर
छत्तीस ही जाते हैं

तुम जैसाें काे कैसे
नाेकरी दे दूं यार,
असल में तुम सब
हाेते हाे बेकार।।

पीडित -नाेकरी ना दाे सही अाप के
यहाँ काम बहुत बडा है,
जुठे बर्तन काफी हैं
पतिला भी जुठा पडा है।।

पिछवाडे में जा कर
बर्तन पतिला धाेता हूं,
फिर साहब अाप के
पास हाजिर हाेता हूं।।

ढाबा वाला-तू अादमी बहुत
शंकास्पद लगता है,
पिछवाडे जा कर भान्डे माजने
के बजाए भाग भी सकता है।।

यदि पिछवाडे से मेरा
पतिला ले कर भाग जाएगा ताे,
बहुत दूर जा कर
उसे बेच कर खाएगा ताे।।

हम कहाँ तेरे काे
ढूंडने जाएंगे?
ढूंढ कर भी कहाँ
तुझकाे पाएंगे?

पीडित -साहब कैसे हाे न
दया न प्यार है,
अाप से उम्मीद करना
अब बेकार है।।

चलाे अाैर न सही बा स
ये ब्यवस्था मिला दाे,
पेट में चूहे दाैड रहे
शब्जी के साथ राेटी ही खिला दाे।।

ढाबा वाला-सुबह-सुबह यार
ये ताे बाेहनी की घडी है,
अरे तुझे खाने काे पडी है।।
अरे तुझे खाने काे पडी है.......




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam rachna fir wahi vyang samaj iska upchaar jaruri h avashya hi aapki rachnayein Inka liye dawaon ka kaam karengi

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार महोदय जी आप ने मेरी इस रचना को विशेष रूप से प्रशंसा करके मुझ को और भी कुछ लिखने के लिए प्रेरित किया इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

Shyam Kumar said

😢😭😭👏👏 ye ek bahut badi bat ha . Hmare yha koi kisi pr viswas nahi krta kisi ko bhi kisi dusre ki aankho m dard taklif nahi dikhti. Bas apne mahal bnane ha chahe dusre ki jhopadi bhi ujad gayi ho.

नेत्र प्रसाद गौतम replied

श्याम कुमार जी आप ने इस रचना को भी विशेष रूप से प्रशंसा करके मुझ को आगे बढ़ने में सराहनीय भूमिका प्रदान किया है इस के लिए आप को फिर से धन्यवाद।

Komal Raju said

आजकल पता नहीं मानवता कहां चली गई है स्वार्थ अपनी चरम सीमा पर है बस इतना समझ लीजिए यही Kalyug hai

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