" एक "
गुरु गोविंद
पाय लागूं गुरु को,
गोविंद मिलें !
" दो "
तन विषाक्त ,
गुरु अमृत खान ,
शीश कटायो !
" तीन "
मीठा बोलिए ,
औरन तो शीतल ,
आप शीतल !
" चार "
बड़ा खजूर,
पंथी को छाया नहीं ,
फल हों दूर !
" पांच "
दुःख सुख में ,
सुमिरन करे जो ,
दुःख काहे को !
" छः "
माटी रौंदते ,
कुम्हार ,तुझे रोंदू ,
मैं एक दिन !
" सात "
चलती चक्की ,
पाटन में साबुत,
बचा न कोए ?
" आठ "
काल आज न,
अब कर , प्रलय
पल में होए !
" नौ "
घट प्रेम न ,
खाल लुहार की ,
बिनु प्राण के !
" दस "
मन का मैल ,
मीन जल में रहे,
धोए न जाए !
" ग्यारह "
प्रभु ध्यान न ,
पछताए होत क्या,
चिड़िया खेत !
" बारह "
साईं दीजिए ,
मैं भी भूखा न रहूं ,
साधू भी खाए !
" तेरह "
मक्खी गुड में ,
पंख ले लिपटाए ,
लालच बला !
" चौदह "
आए_जायेंगे,
राजा रंक फकीर ,
बंधे जंजीर !
" पंद्रह "
रात सोए के ,
दिन गंवाया खाए,
जन्म कोड़ी सा !
" सोलह "
लूट हरी नॉ ,
अन्त पछताएगा ,
जब प्राण छूट !
" सत्रह "
धीरे रे मना,
माली सींचे सौ घड़ा ,
ऋतु में फल !
" अठारह "
माया मरी न,
न काया आशा तृष्णा ,
मरे शरीर !
" उन्नीस "
मानुष जन्म ,
देह पत्ते सी झड़े,
न लागे डार !
" बीस "
साधू हो "सूप"
सार सार को गही,
थोथा उड़ाए !
----द्वारा : राजेश कुमार कौशल