जब भी तुम रोटी खाते हो,
कभी तुम भी सोचते हो
कि जैसी रोटी तुम्हारी थाली में है,
क्या वैसी ही उनकी थाली में
भी होती है—जिन्हें तुम चुनते हो,
जिन्हें तुम सुनते हो,
जिनके लिए नुक्कड़ पर एक-
दूसरे से बहस करते हो?
पाँच वर्ष में तुम्हारी थाली में
क्या बदला, और
उनकी थाली में क्या बदला?
क्या मुफ़्त के राशन की गुणवत्ता
उतनी ही है जितनी उनकी थाली
में परोसे भोजन की है?
कभी तुम सोचते हो
कि तुम क्या पहनते हो,
और वे—जिन्हें तुम चुनते हो—
क्या पहनते हैं?
जो तुम्हारे लिए सस्ता है,
क्या उनके लिए भी सस्ता है?
पाँच वर्ष में वे तुमसे कितनी दूर
चले जाते हैं?
तुम रोज़ कुआँ खोदते हो
हर रोज़ के पानी की ख़ातिर,
और उनका पानी कहाँ से आता है?

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




