कुछ लोगों को काटनी पड़ती फसल जो बोई नही।
जाती हुई मिल्कियत फरिश्ते ने दी फिर खोई नही।।
नींद का हल्का गुलाबी सा खुमार आँखों में तैरता।
जब से आए तुम जिन्दगी में तब से खूब सोई नही।।
ग़म की बारिश से तर-बतर रही ख्वाबी जवानी मेरी।
जब से लाली पैदा हुई 'उपदेश' तब से मैं रोई नही।।
समझने लगी हूँ जिन्दगी के उतार-चढ़ाव अजनबी।
दिल के हालात किससे कहती तकदीर सजोई नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद