हास्य -व्यंग्य
झूठ का दरबार
डॉ.एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
झूठ पर झूठ बोलती है, ऐसे जैसे खा रही हो प्रसाद,
सच बोल दो तो, कहती है “ये कैसी बातें, क्या बकवास!”
जालसाजी की वो रानी है, षड्यंत्रों का ताना-बाना,
उसके आगे तो फेल है, टीवी का हर एक ड्रामा।
सुबह-शाम मीटिंग बुलाए, नए-नए प्लाट बनाए,
कभी इसे फँसाए, तो कभी उसे फँसाए।
चेहरे पर मासूमियत, दिल में चलती साजिश,
उसे देख कर तो, शैतान भी कहे “क्या साज़िश!”
अगर बोलो "अरे, ये तो झूठ है!", तो कहे "अरे, तुम तो मजाक करते हो,"
"मैं तो सीधी-सादी हूँ", कहती है, "तुम शक क्यों करते हो?"
उसके झूठों की लिस्ट, इतनी लंबी है,
कि उस पर तो एक पूरी, मोटी किताब बन सकती है।
उसकी हर बात पर शक करना, हमारा धर्म बन गया है,
उसकी चालाकी देख-देख कर, दिमाग भी चकरा गया है।
काश कोई झूठ बोलने का भी, गिनीज रिकॉर्ड बनाता,
तो उसका नाम, सबसे पहले आता।