कापी राइट रचना (गीत)
जीतने की चाह में मैं हारता चला गया
वक्त गम के साथ मैं गुजारता चला गया
वाकिफ नहीं हो तुम मेरी मजबूरियों से
शिकायत है तुम्हें सिर्फ अपनी दूरियों से
मजबूरियों में दिन ये मैं गुजारता चला गया
वक्त गम के साथ मैं गुजारता चला गया
दूर तुम चले गए जब, छोङ मेरा हाथ
हर दर्द मैं सहता रहा मजबूरियों के साथ
लौट कर आ मैं तुझे पुकारता चला गया
वक्त गम के साथ मैं गुजारता चला गया
काम तुम करते रहे मनमर्जियों के साथ
तुम फैसले करते रहे खुदगरजियों के साथ
साथ फिर भी मैं तुझे संवारता चला गया
वक्त गम के साथ मैं गुजारता चला गया
अब दर्द है साथी मेरा और ये दवाइयां
हाल मेरा पूछती हैं अब यहां तन्हाइयां
जीतते तुम ही रहे मैं हारता चला गया
वक्त गम के साथ मैं गुजारता चला गया
- लेखराम यादव
(मौलिक रचना)
सर्वाधिकार अधीन है