इंसान फितरत से पहचाना जाने लगा।
ये रस्म-रिवाजो का जमाना जाने लगा।।
आँखों की रोशनी ने काम तमाम किया।
विश्वास घटने से आजमाया जाने लगा।।
तकरार करने का चलन अब भी कायम।
बडी बडी बातो से एतिबार जाने लगा।।
गाँव के रास्तों में खोने की गुंजाइश नही।
शहर की राहो में 'उपदेश' खो जाने लगा।।